Ethanol Fuel से घट रहा है कार और बाइक का माइलेज? पढ़िए असली कहानी

By: Dailysutra

On: Monday, September 1, 2025 11:05 AM

Ethanol Fuel
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Ethanol Fuel : नई दिल्ली की सड़कों पर रोज़ाना लाखों वाहन दौड़ते हैं। हर चालक के मन में एक ही सवाल होता है – “मेरी गाड़ी का माइलेज पहले जैसा क्यों नहीं है?” हाल ही में सरकार और ऑटोमोबाइल उद्योग दोनों ने स्वीकार किया है कि E20 यानी 20% एथनॉल-मिश्रित पेट्रोल से गाड़ियों का माइलेज 2% से 6% तक घट सकता है। ऐसे में उपभोक्ताओं पर डबल बोझ पड़ रहा है – पहले से महंगा पेट्रोल और अब घटती दूरी।

सुरेंद्र पाल सिंह की कहानी: जब माइलेज अचानक घट गया

Ethanol Fuel

दिल्ली के ऑटोमोबाइल इंजीनियर सुरेंद्र पाल सिंह का अनुभव इसी सच को उजागर करता है। तीन साल से कम पुरानी उनकी कार पहले दिल्ली की सड़कों पर आराम से 17-17.5 किमी प्रति लीटर देती थी। धीरे-धीरे यह घटकर 16.5 किमी हुआ और हाल के महीनों में यह 14.5 किमी तक गिर गया। सुरेंद्र जी ने शुरू में सोचा कि शायद ट्रैफिक या ड्राइविंग आदतें वजह होंगी, लेकिन मामला सिर्फ इतना नहीं था। जब उन्होंने महंगे “प्रीमियम फ्यूल” का इस्तेमाल किया, तो माइलेज फिर थोड़ा सुधरा। सवाल यही है – क्यों उपभोक्ता को अपनी जेब से और ज्यादा पैसा देना चाहिए?

सोशल मीडिया पर गूंजते सवाल

कई कार और बाइक मालिक सोशल मीडिया पर यही शिकायतें कर रहे हैं – “हम ज्यादा पैसे क्यों दें, अगर ईंधन से दूरी कम मिल रही है?” उपभोक्ताओं की नाराज़गी जायज़ भी है, क्योंकि पेट्रोल-डीजल पहले ही महंगे हैं और अब घटते माइलेज से जेब पर और असर पड़ रहा है।

नीति आयोग की रिपोर्ट और सरकार का नजरिया

Ethanol Fuel

साल 2021 में नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट ‘रोडमैप फॉर Ethanol ब्लेंडिंग इन इंडिया 2020-25’ में साफ कहा था कि अगर ईंधन में एथनॉल की मात्रा बढ़ाई जाएगी तो उसके दाम साधारण पेट्रोल से कम होने चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं को नुकसान न झेलना पड़े। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि E20 फ्यूल से चार-पहिया वाहनों का माइलेज लगभग 6%-7% और दो-पहिया वाहनों का 3%-4% तक गिर सकता है, अगर वाहन पुराने कैलिब्रेशन पर हैं। वहीं, नए इंजन डिज़ाइन और सही ट्यूनिंग से इस नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

वैज्ञानिक संस्थानों की राय

ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) ने 2016 और 2021 में किए गए परीक्षणों का हवाला देते हुए कहा कि E20 फ्यूल से वाहनों पर कोई बड़ा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि, यह बात माइलेज की गिरावट के अनुभव से मेल नहीं खाती, जिससे उपभोक्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी रहती है।

उपभोक्ता के लिए असली सवाल

सरकार एथनॉल मिश्रण को बढ़ावा देकर आयातित तेल पर निर्भरता कम करना चाहती है, यह कदम पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए अहम है। लेकिन जब उपभोक्ता की जेब पर असर पड़ता है, तो उसका समाधान भी जरूरी हो जाता है। आखिरकार, हर रोज़ पेट्रोल भरवाने वाला आम आदमी ही इस बदलाव का सबसे बड़ा हिस्सा है।

Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी साझा करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार किसी व्यक्ति या संस्था की आधिकारिक राय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी निर्णय से पहले आधिकारिक स्रोतों और विशेषज्ञों की राय पर भरोसा करें।

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Dailysutra

About Author ✍️ मैं ज्योतिष कुमार, एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हूँ और वर्तमान में Tech Mahindra में कार्यरत हूँ। इसके साथ ही मैंने अपना स्टार्टअप Profuture Technologies भी शुरू किया है। टेक्नोलॉजी की दुनिया से जुड़े होने के बावजूद मेरी खास रुचि लेखन में है। मैं Daily Sutra के लिए ऑटोमोबाइल और अन्य कैटेगरी से जुड़ी जानकारियाँ सरल और रोचक अंदाज़ में प्रस्तुत करता हूँ। मेरा उद्देश्य है कि पाठकों को ऐसा कंटेंट मिले, जो जानकारीपूर्ण होने के साथ-साथ दिलचस्प भी लगे।
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