India-UAE Partnership: दवा कारोबार, स्थानीय मुद्रा और नए अवसरों पर गहन चर्चा भारत और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के रिश्ते सिर्फ़ काग़ज़ी समझौतों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये रिश्ते दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं और आम नागरिकों के जीवन में नई उम्मीदें भर रहे हैं। हाल ही में भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूएई के विदेश व्यापार मंत्री थानी बिन अहमद अल ज़ेयौदी की मुलाक़ात ने इस रिश्ते को और मज़बूत करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है।
इस मुलाक़ात में ऊर्जा, डिजिटल ढांचा, आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे उभरते हुए क्षेत्रों पर गहन चर्चा हुई। इतना ही नहीं, समय पर व्यापार से जुड़ा डाटा साझा करने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी। यह पहल भारत–यूएई के बीच हुए व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
स्थानीय मुद्रा से होगा व्यापार आसान
बैठक में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक था लोकल करेंसी सेटलमेंट सिस्टम यानी भारतीय रुपया (INR) और यूएई दिरहम (AED) के बीच प्रत्यक्ष लेन-देन। इस प्रणाली से दोनों देशों के व्यापारियों को डॉलर पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और लेन-देन की प्रक्रिया तेज़ और किफ़ायती होगी। यह न सिर्फ़ व्यापार को सरल बनाएगा, बल्कि दोनों देशों की मुद्रा को भी वैश्विक स्तर पर मज़बूती प्रदान करेगा।
भारत की ओर से “भारत मार्ट” जैसी पहल को भी सराहा गया, जो UAE में भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देने और छोटे–मझोले व्यापारियों के लिए नए अवसर खोलने में अहम भूमिका निभा सकती है।
दवा और स्वास्थ्य क्षेत्र में नई उम्मीदें
भारत दुनिया भर में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयों के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि भारत–यूएई चर्चा में फार्मा सेक्टर मुख्य आकर्षण रहा। इस दौरान भारतीय कंपनियों की चुनौतियों और ज़रूरतों पर भी खुलकर बातचीत हुई। यूएई ने हाल ही में एमिरेट्स ड्रग एस्टैब्लिशमेंट का गठन किया है, जिसका उद्देश्य दवा कंपनियों की समस्याओं को सुनना और समाधान करना है।
दोनों पक्षों ने सहमति जताई कि दवाओं के पंजीकरण और नियामक प्रक्रियाओं को सरल और तेज़ बनाया जाएगा ताकि मरीजों तक सही समय पर दवाइयाँ पहुँच सकें। भारत ने भी यूएई को भरोसा दिलाया कि उसकी कंपनियाँ निरीक्षण और ऑडिट के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इस सहयोग से फार्मा और हेल्थकेयर उत्पादों का कारोबार नई ऊँचाइयों तक पहुँचने की उम्मीद है।
2030 तक 100 अरब डॉलर गैर-तेल व्यापार का लक्ष्य
भारत और UAE ने सीईपीए समझौते के तहत 2030 तक गैर-तेल और गैर-कीमती धातुओं के व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य तय किया है। यह सिर्फ़ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए नई ऊर्जा और करोड़ों लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का सपना है।
पीयूष गोयल ने इस दौरान UAE के भारत में बढ़ते निवेश का भी स्वागत किया। विशेषकर इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने में अहम भूमिका निभाई है।
नए युग की साझेदारी
वर्तमान भू-राजनीतिक चुनौतियों के दौर में भारत और UAE की यह साझेदारी और भी मायने रखती है। जब दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ अस्थिरता का सामना कर रही हैं, ऐसे में भारत और यूएई का साथ आना स्थिरता और विकास की नई कहानी लिख सकता है।
इस मुलाक़ात ने यह साफ़ कर दिया कि दोनों देश सिर्फ़ आर्थिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि आपसी भरोसे और सहयोग की मज़बूत नींव पर रिश्तों को आगे बढ़ा रहे हैं। दवा क्षेत्र से लेकर डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्थानीय मुद्रा में लेन-देन तक—हर पहल आम आदमी के जीवन को आसान और बेहतर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।
निष्कर्ष : भारत और UAE की दोस्ती अब एक नए मुक़ाम पर पहुँच रही है। चाहे वह दवा क्षेत्र में तेज़ समाधान हो, स्थानीय मुद्रा में व्यापार हो या फिर इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल क्षेत्र में निवेश—हर पहल दोनों देशों के लोगों के जीवन को नई दिशा देने वाली है। आने वाले समय में यह साझेदारी न केवल आर्थिक तरक्की लाएगी बल्कि दोनों देशों के बीच रिश्तों को और गहराई भी देगी।
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